ठुकराओ या अब के प्यार करो मैं नशे मैं हूँ।
जो चाहो मेरे यार करो मैं नशे मैं हूँ।
अब भी दिला रहा हूँ यकीन-ए-वफ़ा मगर,
मेरा न ऐतबार करो मैं नशे में हूँ।
गिरने दो तुम मुझे मेरा सागर संभाल लो,
इतना तो मेरे यार करो मैं नशे में हूँ।
मुझको क़दम-क़दम पे बहकने दो वायजों,
तुम अपना कारोबार करो मैं नशे में हूँ।
फिर बेखुदी में हद से गुज़रने लगा हूँ,
इतना न मुझसे प्यार करो मैं नशे में हूँ।
--- शाहिद कबीर
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