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डरते हैं चश्म-ओ-जुल्फ, निगाह-ओ-अदा से हम....


डरते हैं चश्म-ओ-जुल्फ, निगाह-ओ-अदा से हम
हर दम पनाह मांगते हैं हर बला से हम

माशूक़ जाए हूर मिले, मय बजाये आब
महशर में दो सवाल करेंगे ख़ुदा से हम

गो हाल-ए-दिल छुपाते हैं पर इस को क्या करें
आते हैं ख़ुद ख़ुद नज़र इक मुबतला से हम

देखें तो पहले कौन मिटे उसकी राह में
बैठे हैं शर्त बाँध के हर नक्श-ए-पा से हम


--- दाग़ देहल्वी

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