Pages

अपने हाथों से यूं चहरे को छुपाते क्यों हो....


अपने हाथों से यूं चहरे को छुपाते क्यों हो
मुझ से शर्माते हो तो सामाने आते क्यों हो

तुम कभी मेरी तरह कर भी लो इक़रार-ए-वफ़ा
प्यार करते हो तो फिर प्यार छुपाते क्यों हो

अश्क आंखों में मेरी देख के रोते क्यों हो
दिल भर आता है तो फिर दिल को दुखाते क्यों हो

इन से वाबस्ता है जब मेरा मुक़द्दर फिर तुम
मेरे शानों से ये जुल्फ हटाते क्यों हो

रोज़ मर-मर के मुझे जीने को कहते क्यों हो
मिलाने आते हो तो फिर लौट के जाते क्यों हो

--- सागर

No comments:

Post a Comment

You can also send your creations to post here....
viksinsa@gmail.com

with the subject line Ghazals

Latest Ghazals

Ghazlen