Pages

कभी किसी को मुकम्मल......


कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,
कहीं जमीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता;

जिसे भी देखिए वो अपने आप मैं गुम है,
जुबां मिली है मग़र हम जुबां नहीं मिलता;

बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले,
ये ऐसी आग है जिसमे धुआँ नहीं मिलता;

तेरे जहाँ मैं ऐसा नहीं के प्यार ना हो,
जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता;


--- शहरयार



1 comment:

You can also send your creations to post here....
viksinsa@gmail.com

with the subject line Ghazals

Latest Ghazals

Ghazlen