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दिल ही तो है न संग-ओ-खिश्त दर्द से भर....


दिल ही तो है न संग-ओ-खिश्त दर्द से भर न आये क्यों?
रोयेंगे हम हज़ार बार, कोइ हमें सताए क्यों?

[ संग = पत्थर/stone, खिश्त = ईंट/brick ]

दैर नहीं, हरम नहीं, दर नहीं, आस्तां नहीं
बैठे हैं रहगुज़र पे हम, ग़ैर हमें उठाये क्यों?

[ दैर = मंदिर/temple, हरम = मस्जिद/mosque, दर = दरवाजा/gate ]
[ आस्तां = डेरा/मकान/abode, रहगुज़र = रास्ता/path/way ]


जब वो जमाल-ऐ-दिल-फ़रोज़, सूरत-ऐ-मैहर-ऐ-नीम-रोज़
आप ही हो नज्जारा-सोज़, परदे में मुंह छुपाये क्यों?

[ जमाल = सुन्दरता/beauty, फ़रोज़ = चमकीला/shining/luminous, मैहर = सूर्य/sun ]
[नीम-रोज़ = दोपहर/mid day, नज्जारा-सोज़ = देखने लायक/beautiful/worth seeing ]


दशना-ऐ-घम्ज़ा जान-सितां, नावक-ऐ-नाज़ बे-पनाह
तेरा ही अक्स-ऐ-रुख सही, सामने तेरे आये क्यों?

[ दशना = खंज़र/dagger, घम्ज़ा = कामुक नज़र/amorous ग्लांस, अक्स = परछाईं/image ]
[ जान-सितां = जीवन समाप्त करना/destroying life, नावक = एक प्रकार का तीर/a kind of arrow ]


क़ैद-ऐ-हयात-ओ-बंद-ऐ-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं
मौत से पहले आदमी ग़म से निजात पाए क्यों?

[ हयात = जीवन/life, बंद-ऐ-ग़म = छुपा दुःख/concealed sorrows, निजात = मुक्ति/release/liberation ]

हुस्न और उसपे हुस्न-जान रह गयी बुलहवस की शर्म
अपने पे ऐतमाद है, ग़ैर को आजमायें क्यों?

[ हुस्न-जान = अनुकूल द्रश्य/favorable view, ऐतमाद = भरोसा/reliance/dependence ]
[ बुलहवस = जूनून के ग़ुलाम/slave of passions/very greedy ]


वां वो ग़ुरूर-ऐ-ऐजाज़-ओ-नाज़ याँ यह हिजाब-ऐ-पास-ऐ-वजा
राह में हम मिले कहाँ, बज़्म में वो बुलाये क्यों?

[ ग़ुरूर = घमंड/pride, ऐजाज़ = सम्मान/respect, नाज़ =सुन्दरता/beauty ,हिजाब = लाज/veil/modesty ]
[ पास = सम्मान/regard, वजा = आचरण/सलूक/behavior ]


हाँ वो नहीं खुदा-परस्त, जाओ वो बे-वफ़ा सही
जिसको हो दीन-ओ-दिल अज़ीज़, उसकी गली में जाएं क्यों?

[ परस्त = पुजारी/worshiper, दीन = धर्म/religion/faith ]

'ग़ालिब'-ऐ-खस्ता के बग़ैर कौन से काम बंद हैं?
रोइए जार-जार क्या, कीजिये हाय-हाय क्यों?

[ खस्ता = बीमार/sick/injured, जार-जार = जोर जोर से/bitterly ]


--मिर्ज़ा 'ग़ालिब'

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