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ग़ैर क्या जानिए क्यों मुझको बुरा कहते हैं....


ग़ैर क्या जानिए क्यों मुझको बुरा कहते हैं
आप कहते हैं जो ऐसा, तो बजा कहते हैं

[ बजा=ठीक/Right ]

वाकई तेरे इस अंदाज़ को क्या कहते हैं
न वफ़ा कहते हैं जिस को, न जफ़ा कहते हैं

[ वाकई=वास्तव में/In real ]

हो जिन्हें शक़ वो करें और खुदाओं की तलाश
हम तो इंसां को दुनिया का खुदा कहते हैं

तेरी सूरत नज़र आई, तेरी सूरत से अलग
हुस्न को अहल-ऐ-नज़र हुस्न-नुमा कहते हैं

शिक़वा-ऐ-हिज्र करें किस दिल से
हम ख़ुद अपने को भी अपने से जुदा कहते हैं

तेरी रुदाद-ऐ-सितम का है बयान नामुमकिन
फायदा क्या है? मगर यूं ज़रा कहते हैं

लोग जो कुछ भी कहें तेरी सितम-कोशी को
हम तो इन बातों को अच्छा न बुरा कहते हैं

औरों का तजुर्बा जो कुछ हो मगर हम तो 'फिराक'
तल्खी-ऐ-जीस्त को जीने का मज़ा कहते हैं

--- फिराक़ गोरखपुरी

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