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झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार है कि नहीं.....


झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार है कि नहीं।
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं।

तू अपने दिल की जवां धड़कनों को गिन के बता।
मेरी तरह तेरा दिल बेकरार है कि नहीं।

वो पल के जिस में मुहब्बत जवान होती है।
उस एक पल का तुझे इंतज़ार है कि नहीं।

तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को।
तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है कि नहीं।

--- कैफ़ी आज़मी


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