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यूँ ज़िंदगी की राह में टकरा गया कोई...


यूँ ज़िंदगी की राह में टकरा गया कोई
इक रौशनी अंधेरों में बिखरा गया कोई
वो हादसा वो पहली मुलाक़ात क्या कहूं
वो अजब थी सूरत-ऐ-हालत क्या कहूं
वो कहर वो गज़ब वो जफा मुझको याद है
वो उसकी बेरुखी की अदा मुझको याद है
मिटता नहीं है जेहन पे यूँ छा गया कोई
यूँ ज़िंदगी की राह में टकरा गया कोई

पहले मुझे वो देखके बेरहम सी हो गयी
फिर अपने ही हसीं खयालों में खो गयी
बेचारगी पे मेरी उसे रहम आ गया
शायद मेरे तड़पने का अंदाज़ भा गया
साँसों से भी करीब मेरे आ गया कोई
यूँ ज़िंदगी की राह में टकरा गया कोई

यूं उसने प्यार से मेरी बाहों को छू लिया
मंजिल ने जैसे शाख के राहों को छू लिया
पल में दिल में कैसे क़यामत सी छा गई
राग-राग में उसके हुस्न की खुशबू छा गई
जुल्फों को मेरे शान पे लहरा गया कोई
यूं ज़िंदगी की राह में टकरा गया कोई

अब इस दिल-ऐ-तबाह की हालत न पूछिए
बेनाम आरजू की लाज्ज्त न पूछिए
इक अजनबी था रूह का अरमान बन गाया
इक हादसा था प्यार का उनवान बन गया
मंजिल का रास्ता मुझे दिखला गया कोई
यूं ज़िंदगी की राह में टकरा गया कोई

--- अनजान शायर

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