ज़िंदगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें,
ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें;
सुर्ख फूलों से महक उठती हैं दिल की राहें,
दिन ढले यूँ तेरी आवाज़ बुलाती है हमें;
याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी से,
रात के पिछले पहर रोज़ जगाती है हमें;
हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यूँ है,
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें;
--- शहरयार
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