ओस पड़े बहार पर आग लगे कनार में
तुम जो नहीं कनार में लुत्फ़ ही क्या बहार में
उस पे करे खुदा रहम गर्दिश-ऐ-रोज़गार में
अपनी तलाश छोड़कर जो है तलाश-ऐ-यार में
हम कहीं जानेवाले हैं दामन-ऐ-इश्क छोड़कर
जीस्त तेरे हुजूर में, मौत तेरे दयार में
--- जिगर मुरादाबादी
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