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कच्ची दीवार हूँ ठोकर न लगना मुझको...


कच्ची दीवार हूँ ठोकर न लगना मुझको,
अपनी नज़र में बसा कर न गिरना मुझको।

तुम को आँखों में तस्वीर की तरह रखता हूँ,
दिल में धड़कन की तरह तुम भी बसाना मुझको।

बात करने में तुम्हे जो मुश्किल हो महफिल में,
मैं समझ जाऊंगा नज़र से बताना मुझको।

वादा उतना ही करना जितना निभा सकती हो,
ख्वाब जो न हो पूरा वो न दिखाना मुझको।

अपने रिश्ते की नज़ाकत का भरम रख लेना,
में तो आशिक हूँ दीवाना न बनाना मुझको।


--- असरार अंसारी

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