दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है?
आख़िर इस दर्द की दावा क्या है?
हम हैं मुश्ताक और वो बेज़ार,
या इलाही ! ये माज़रा क्या है?
में भी मुंह में ज़ुबान रखता हूँ,
काश! पूछो की "मुद्दा क्या है"।
जब की तुझ बिन नहीं कोई मौजूद,
फिर ये हंगामा, ऐ खुदा! क्या है।
ये परी चेहरा लोग कैसे हैं?
घम्ज़ा-ओ-इश्वा-ओ-अदा क्या है?
शिकन-ए-जुल्फ-ए-अम्बरी क्यों है?
निगाह-ए-चश्म-ए-सूरमा सा क्या है?
सब्जा-ओ-गुल कहाँ से आए हैं?
अब्र क्या चीज़ है, हवा क्या है?
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद,
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है।
"हाँ भला कर तेरा भला होगा"
और दरवेश की सदा क्या है?
जान तुम पर निसार करता हूँ,
में नहीं जानता दुआ क्या है।
मैंने माना की कुछ नहीं 'ग़ालिब',
मुफ्त हाथ आए तो बुरा क्या है?
--- मिर्जा 'ग़ालिब'
मुश्ताक = , बेजार = नाराज़, घम्ज़ा = मुहोब्बत/इश्क, इश्वा = koquyetry
शिकन = झुर्रियां , अम्बरी = खुशबू , चश्म = आँख, अब्र = बादल, दरवेश = भिखारी, सदा = आवाज़
शिकन = झुर्रियां , अम्बरी = खुशबू , चश्म = आँख, अब्र = बादल, दरवेश = भिखारी, सदा = आवाज़
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